ANMOL RISHTE (Part-1) in Hindi Love Stories by Kalpana Sahoo books and stories PDF | अनमोल रिश्ते (Part-1)

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अनमोल रिश्ते (Part-1)

सुनसान् रास्ते के पास एक आदमी गाडी ले के खडा था।चेहेरा उदास था। आखों में आशुं नहीं था, पर दील में चोट था। मुहँ लटका के खडा था सायद कुछ सोच रहा हो। तभी उसी रास्ते पर उसका दोस्त निकला। दोस्त का नजर उस पर पडा। गाडी रोक के पास आया। पुछा आरे तु तो आज जल्द घर जानेबाला था ना फिर यहां कैसे ? उसने कुछ जवाब नहीं दिआ। दोस्त को झट से गले लगा लिया और रोने लगा।

दोस्त:- भाई क्या हुआ है ? तु रो क्यु रहा है ? कोइ problem है तो बता।

आदमी:- क्या बताऊँ तुझे ? घर की बात है ना किसी से केहे सकता हुं ना ही चुप् रेह सकता हुं। तु बताना भाई में क्या करू ?

दोस्त:- भाई बोला है तु मुझे, फिर भी नहीं केह पा रहा है तु । चलो कोई बात नहीं तेरा कोइ persional problem होगा सायद । खेर तु पुछ रहा है इसलिए बताता हुं । क्या तेरा भाभी के साथ कुछ लफडा चल रहा है ? देख भाई तु बुरा मत मान।

आदमी:- आरे नहीं भाई बुरा क्यु मानु । वही तो problem है हम दोनो के बीच । हर बक्त लढाई झगडा आर कुछ नहीं । तगं आ गैया हुं में इस रिस्ते से । ना उसे छोड सकता हुं, नाही छेल सकता हुं । क्या करु भाई बताना ?

दोस्त:- सुन मेरे भाई अब जो में बोलनेबाला हुं हो सकता है तुझे बुरा लगे पर दिल से समझोगे तो तेरा life सुधर जायेगा यार ।

आदमी:- देख भाई तु बातो को येसे घुमा मत । यैसे भी में बहुत tension में हुं यार ।

दोस्त:- ठिक है तु गुस्सा मत हो ।बोलता हुं यार । तुझे पता है भगबान दो अलग इनसान क्युं बनाई है ?

आदमी:- नहीं भाई मुझे नहीं पता चल तुही बतादे ।

दोस्त:- क्युंकि एक दुसरे को समझने में आसानी हो । पर तु नहीं समझेगा । चल तुझे समझाता हुं । आ बेठ गाडी में ।

(आदमी और उसकी दोस्त गाडी में जाके बेठ गये ।)
दोस्त:- देख भाई ये जो रिस्ता होते हैं ना बहत नाजुक होते हैं ।तु उसमें पथर गीरायेगा तो सम्भलेगा नहीं । भारी हो के निचे गिर
जायोगा । रिस्ता दोनो तरफ से बचता है मेरे भाई । मुझे पता है तु क्या सोच रहा होगा की में पागल ये क्या बोल रहा हुं ? पर भाई में तुझे समझा रहा हुं । तु भाभी से नाराज है ना ? तुझे लगता हो की तु सही है और बो गलत । पर मुझे येसे नहीं लगता।वो तेरे बीबी है यार । तुझपे तेरे से ज्यादा उसकी हक है । अगर तुझे कुछ बोल रहे है तो तु समझना चाहीये । में ये नहीं केहे रहा हुं की वो टीक है तु गलत । पर उसकी बात सुन लेने से क्या problem हैं । हो सकता है वो कुछ अच्छी बोल रहे हो बाद में तुमको येसे लगे । तो पेहले सुनने में क्या परेसानी है ? एकबार सुन लेनी चाहीये ।

To continue..........